Vandey Bharat Express Today News:
Vandey Bharat Express Today News: वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन चलाने की तैयारी
पटना-हावड़ा मार्ग पर यह ट्रेन चलाने के लिए समय और किराये पर काम चल रहा है। एनसीआर और पूर्वी रेलवे दोनों के बीच रेल पटरियों को मजबूत करने का काम तेजी से चल रहा है। रेलवे ने अभी तक ट्रेन के स्टॉपेज पर काम नहीं किया है।पटना हावड़ा रूट पर वंदे भारत एक्सप्रेस के लिए किराया तय नहीं किया गया है।बस ये अनुमान है कि एसी एग्जीक्यूटिव क्लास के लिए किराया 2,650 रुपये प्रति यात्री और एसी चेयर कार के लिए 1,450 रुपये प्रति यात्री किराया हो सकता है और इसमें खाना, नाश्ता भी शामिल हो सकता है।
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ट्रेन का नाम | कब शुरु हुई | स्टॉपेज | दूरी | समय | किराया (AC Chair) |
नई दिल्ली-वाराणसी | 15 फरवरी, 2019 | कानपुर, इलाहाबाद | 771 किमी | 8 घंटे | 1,805 रुपये |
नई दिल्ली-कटरा | तीन अक्टूबर, 2019 | अंबाला कैंट, लुधियाना, जम्मू तवी | 655 किमी | 8 घंटे | 1,545 रुपये |
गांधी नगर-मुंबई | 30 सितंबर, 2022 | अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, वापी, बोरीवली, | 520 किमी | 6 घंटे 20 मिनट | 1,420 रुपये |
नई दिल्ली-अंब अदौरा | 13 अक्टूबर, 2022 | अंबाला, चंडीगढ़, आनंदपुर साहिब | 415 किमी | 5 घंटे 25 मिनट | 1,240 रुपये |
मैसूरू-चेन्नई | 11 नवंबर, 2022 | काटपाडी, बेंगलुरु | 497 किमी | 6 घंटे 25 मिनट | 1,365 रुपये |
नागपुर-बिलासपुर | 11 दिसंबर, 2022 | रायपुर, दुर्ग, गोंदिया | 412 किमी | 5 घंटे 30 मिनट | 1,155 रुपये |
हावड़ा-न्यू जलपाईगुड़ी | 30 दिसंबर, 2022 | बोलपुर, माल्दा टाउन, बारसोई | 565 किमी | 7 घंटे 30 मिनट | 1,565 रुपये |
सिकंदराबाद-विशाखापट्टनम | 15 जनवरी, 2023 | वारंगल, खम्मम, विजयवाड़ा, राजमुंद्री | 699 किमी | 8 घंटे 30 मिनट | 1,665 रुपये |
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वंदे भारत ट्रेन को देश के आम यात्री भी तरक्की का सिंबल मानते हैं. जब लोग रेल यात्रा के लिए टिकट बुक करने लगते हैं तो वह Vande Bharat Train को अपनी पहली चॉइस बनाते हैं. जिन लोगों ने भी दुनिया के दूसरे देशों में ट्रेन की यात्रा की है उन्हें वंदे भारत में बैठने पर विदेश सा फील होता है. उन्हें लगता है कि भारत में भी विश्व स्तर की वही Vande Bharat ट्रेन उनके लिए उपलब्ध कराई गई है.
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सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक था वंदे भारत ट्रेन लिए सेमी-हाई स्पीड बोगियों का फ्रेम तैयार करना। सुधांशु को कानपुर में एक कंपनी मिली जो फ्रेम बना सकती थी और इसे इंटीग्रल कोच फैक्ट्री को सौंप दिया। 50 रेलवे इंजीनियरों और 500 फैक्ट्री कर्मचारियों की एक टीम ने तब वंदे भारत के प्रोटोटाइप रैक को केवल 18 महीनों में डिजाइन और तैयार करने के लिए लगातार काम किया।
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इस ट्रेन का नाम पहले ट्रेन 18 रखा गया था, लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर वंदे भारत एक्सप्रेस कर दिया गया। गांधीनगर-मुंबई के बीच ट्रायल के दौरान वंदे भारत एक्सप्रेस ने बुलेट ट्रेन को भी महज 52 सेकंड में मात दे दी। सुधांशु मणि का बिना इंजन के सेमी-हाई स्पीड ट्रेन चलाने का सपना आखिरकार वंदे भारत एक्सप्रेस के लॉन्च के साथ पूरा हो गया। यही वजह है कि सुधांशु मणि को भारत में वंदे भारत ट्रेनों का जनक माना जाता है।
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